पार्लर कैसे सेट करें

समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से विचार विमर्श उपरांत दुग्ध संघो के स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए शहरी मिल्क पार्लर आवंटन हेतु एमपीसीडीएफ स्तर पर एक पारदर्शी प्रक्रिया तैयार की गई है ताकि संबंधित दुग्ध संघो में वैधानिक रूप से साँची मिल्क पार्लर का आवंटन पारदर्शी तरीके से हो सके इस हेतु शहरी पार्लर आवंटन हेतु निम्नानुसार नीति निर्धारित की गई है :-

शहरी मिल्क पार्लर आवंटन

  1. कोई भी आवेदन यदि दुग्ध संघ में वांछित स्थान पर मिल्क पार्लर आवंटन हेतु आवेदन प्रस्तुत करना चाहता है तो उसे दुग्ध संघ के द्वारा निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन प्रस्तुत करना होगा|
  2. आवेदन प्राप्त होने के पश्चात संबंधित दुग्ध संघो के द्वारा उसका परीक्षण किया जायेगा तदोपरांत दुग्ध संघ द्वारा चिन्हित स्थान का आवंटन हेतु स्थानीय निकाय को प्रस्ताव प्रेषित किया जायेगा | इस प्रस्ताव की प्रति आवेदक को भी दी जाएगी |
  3. आवेदक जो स्वंय या उसके परिवार के किसी भी सदस्य यदि पूर्व से ही दूध या दुग्ध पदार्थो का व्यवसाय कर रहे हो तो उनके आवेदन पर विचार नहीं किया जावेगा |
  4. आवेदन को लिखित में आवंगत कराया जाएगा कि यदि ३० दिन के अंदर चिन्हित स्थान पर स्थानीय निकाय से आवंटन प्राप्त कर लिया जाता है तो आवेदक को उस स्थान पर मिल्क पार्लर हेतु कंसेशनर नियुक्त किया जायेगा |
  5. आवेदन को ३० दिन के अंदर चिन्हित स्थान पर स्थानीय निकाय से आवंटन प्राप्त नही होता है तो उस आवेदक का आवेदन स्वत: निरस्त समझा जाएगा |
  6. पार्लर आवंटन में शाररिक रूप से विकलांग परंतु पार्लर चलाने योग्य की महिलाओं को तथा एक्स सर्विस मेन को प्राथमिकता दी जाएगी |
  7. विज्ञापन के माध्यम से प्राप्त आवेदनों में यदि कोई ऐसा आवेदक का आवेदन प्राप्त होगा जिसका संघ में रिकॉर्ड ख़राब हो अथवा पूर्व में संघ के नीतियों के विरुद्ध कार्यवाही की गई हो तो उस आवेदक का आवेदन संघ स्तर पर निरस्त कर दिया जावेगा एवं आवेदन को आवंटन प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं किया जावेगा |
  8. उपरोक्त प्रक्रिया उन सभी नए आवेदकों के लिए व पुराने मिल्क पार्लर जिन्हें पुनः आवंटित किया जा रहा है के लिए अपनाई जाएगी जो स्थानीय निकाय के अधीनस्थ स्थान पर व राजस्व विभाग की भूमि पर मिल्क पार्लर आवेदन प्रस्तुत करते हैं |
  9. दुग्ध संघ द्वारा यदि किसी स्थान के परिसर के अंदर या संघ के स्वयं की भूमि पर मिल्क पार्लर स्थापित करता है तो संघ या तो स्वयं संचालन करेगी और यदि दुग्ह संघ कंसेशनर नियुक्त कर चलाना चाहता है तो आवंटन हेतु निम्न प्रक्रिया अपनाई जाएगी :-
    • आवेदन विज्ञापन के माध्यम से निर्धारित प्रपत्र में आमंत्रित किया जाएगा|
    • आवेदक एफएमसीजी उत्पादों के विपणन/विक्रय का अनुभव रखता हो |
    • एक से अधिक आवेदन प्राप्त होने की स्थिति में संघ स्तर पर लॉटरी के माध्यम से कंसेशनर का चयन किया जाएगा |
    • आवेदक जो स्वयं या उसके परिवार के किसी भी सदस्य यदि पूर्व से ही दूध या दुग्ध पदार्थो का व्यवसाय कर रहे हों तो उनके आवेदन पर विचार नही किया जावेगा |
    • आवेदन प्रपत्र पर वांछित जानकारी पूर्ण रूप से भरनी होगी| अपूर्ण आवेदन को लॉटरी प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं किया जावेगा|
    • विज्ञापन के माध्यम से प्राप्त आवेदनों में यदि कोई ऐसा आवेदक का आवेदन प्राप्त होगा जिसका संघ में रिकॉर्ड ख़राब हो अथवा पूर्व में संघ के नीतियों के विरुध्द कार्यवाही की गई हो तो उस आवेदक का आवेदन संघ स्तर पर निरस्त कर दिया जावेगा एवं आवेदन को आवंटन प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं किया जावेगा|
    • संघ स्तर पर गठित-समिति द्वारा प्राप्त आवेदनों का परीक्षण किया जावेगा एवं लाटरी हेतु उन्ही आवेदनों को सम्मिलित किया जावेगा जो समस्त औपचारिकता एवं शर्तो को पूर्ण करते हो व जिनकी समिति द्वारा अनुशंसा की गई हो|
  10. संबन्धित संघ का निर्णय समस्त आवेदकों को मान्य होगा|

प्रतिभूति राशि

  • वर्तमान में सभी दुग्ध संघो में स्थानीय बाजार के आधार पर प्रतिभूति राशि निर्धारित है| इसको ध्यान में रखते हुए प्रतिभूति राशि संघ स्तर पर ही निर्धारित की जा सकेगी एवं इसकी सूचना दुग्ध संघ द्वारा एमपीसीडीएफ को दी जावेगी|
  • नगर-निगम या स्थानीय निकायों द्वरा जो भी किराया मिल्क पार्लर हेतु निर्धारित है वह आवंटी द्वारा जमा किया जावेगा|
  • मिल्क पार्लर में आने वाला विधुत व्यय आवंटी द्वारा जमा किया जावेगा|

अनुबंध

  1. पार्लर आवंटन के अनुबंध का प्रारूप विधिक़ सलाहकार से अनुमोदित कराया गया है | जिसे कशेसनर/ आवंटी को संघ के साथ संपादित करना होगा|
  2. यदि कशेसनर/ आवंटी एवं दुग्ध संघ के बीच यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है तो विवाद आर्बीर्टेशन हेतु संबन्धित दुग्ध संघ के अध्यक्ष को संदर्भित किया जाएगा एवं उनके द्वारा दिया गया अवार्ड दोनों पक्षों को मान्य एवं बंधकारी होगा| आर्बीर्टेशन की कार्यवाही आर्बीर्टेशन एवं कौंसिल अधिनियम 1996 के अंतर्गत संदर्भित होगी|
  3. समस्त विवादों के निराकरण के लिए न्यायिक कार्यक्षेत्र वह शहर होगा जहां संबंधित दुग्ध संघ का मुख्यालय होगा|